युवाम् (कविता )
'मन के मोती' में आज स्कूल टाइम की ही लिखी हुई एक कविता है जो एक संस्था के लिए लिखी थी नाम शायद बहुत से लोगों ने सुना हो 'युवाम् '। युवाम की स्थापना देश के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए की गई है। विद्यार्थी जीवन में हमारे लिए ये सिर्फ एक संस्था न होकर एक परिवार था और ये कविता 'युवाम् ' के स्थापना दिवस के अवसर पर लिखी थी.… युवाम के संस्थापक आदरणीय 'दादा' (श्री पारस सकलेचा जी) को समर्पित-----
'युवाम् '
युवाम हमारी जान है ,
युवाम हमारी शान है।
राष्ट्र का अभिमान है,
युवाओं का सम्मान है।
'दादा ' की खोज युवाम एक संस्थान है ,
जो युवा प्रतिभाओं को निखारने का एकमात्र स्थान है।
युवाम से ही सुबह है ,
युवाम से ही शाम है।
युवाम उगता सूरज है ,
युवाम उगता सूरज है ,
जिससे प्रकाशित सारा जहान है।
युवाम एक चाँद है ,
जिसकी रोशनी सर्वत्र दीप्तमान है।
युवाम एक सरिता है ,
जो निरन्तर प्रवाहमान है।
हमारे पैरों तले युवाम की ज़मीं ,
और सर पर युवाम का आसमान है।
युवाम हमारी जान है ,
युवाम हमारी शान है।
ऐसी अद्भुत संस्था और माननीय 'दादा ' को हमारा शत-शत प्रणाम है।
(स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते। dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है।
आपके सुझाव/विचार नीचे टिप्पणी में अवश्य लिखिए।
इसे भी पढ़ें http://lekhaniblogdj.blogspot.in/
मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है।
आपके सुझाव/विचार नीचे टिप्पणी में अवश्य लिखिए।इसे भी पढ़ें http://lekhaniblogdj.blogspot.in/
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें